बेटे के भविष्य के लिए कई मर्दों से चुदी

बेटे के भविष्य के लिए कई मर्दों से चुदी

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मैं बहुत सेक्सी हूँ. लेकिन विधवा हूँ. मेरा बेटे ने स्कूल में कोई बड़ी शरारत कर दी, पुलिस केस बना. तो अपने बेटे को बचाने के लिए मैंने क्या क्या किया.

लेखक की पिछली कहानी: दिल्ली की भाभी और आंटी की गंदी चुदाई

हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम सोनल है. मेरी उम्र 36 साल की है और मेरा फिगर 36-29-38 का है. मैं मेरठ की रहने वाली हूँ. मैं एकदम गोरी हूँ, दूध सी सफेद और मेरे चूचे खूब बड़े बड़े और सख्त हैं. मेरी गांड भी खूब भरी हुई और मोटी है.

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मैं अक्सर शिफोन की झीनी वाली साड़ी पहनती हूँ. इसके साथ मैं जो ब्लाउज पहनती हूँ, वो काफ़ी गहरे गले का रहता है. मेरा ब्लाउज आगे से और पीछे से दोनों तरफ से काफी खुला सा रहता है जिसमें मेरे अच्छे ख़ासे मम्मे सभी को कामुकता से भर देते हैं.

इस गहरे गले वाले ब्लाउज से मेरे मम्मों की क्लीवेज बड़ी ही दिलकश दिखती है. चूंकि मेरा ब्लाउज स्लीवलैस रहता है, तो ये और भी ज्यादा कामुकता बिखेरता है.

मैं साड़ी भी नाभि के नीचे बाँधती हूँ, जिससे मेरी नाभि और पूरा पेट एकदम साफ दिखता है. मतलब ये कि साड़ी ब्लाउज पहनने से मेरे बदन का कमर तक का ज्यादातर हिस्सा साफ़ दिखता है. इससे मैं और भी सेक्सी दिखती हूँ. जो भी मुझे एक बार देख लेता है, तो बस देखते ही रह जाता है.

ये बात तब की है, जब 2 साल ही पहले मेरे पति का देहांत हो गया था. मेरी कम उम्र में शादी हो गई थी. मेरा एक बेटा भी है जो अभी स्कूल की छोटी क्लास में पढ़ता है. मेरे पति के जाने के बाद मुझे कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा, मेरी आपबीती को मैं विस्तार से आपको लिख रही हूँ.

हुआ यूं कि हम तीनों का जीवन बहुत खुशहाल चल रहा था. हम लोग अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश थे. फिर हमारी खुशी को किसी की नज़र लग गयी. एक साल पहले मेरे पति रात में बाहर से घर आ रहे थे और मैं और मेरा बेटा हम दोनों इनके आने का इंतज़ार कर रहे थे, तभी हॉस्पिटल से फोन आया और मुझे अर्जेंट बुलाया गया. मैं अपने बेटे को लेकर हॉस्पिटल भागी. जब तक हम हॉस्पिटल पहुंचते, तब तक मेरे पति ने अपना दम तोड़ दिया था.

पति के जाने के बाद हम दोनों एकदम टूट से गए थे. दो महीने तक मेरा बेटा स्कूल नहीं गया. उसने भी स्कूल छोड़ने का मन बना लिया था.

फिर एक दिन मेरी एक फ्रेंड घर पर आई और उसने हम दोनों की हालत देख कर मुझको समझाया कि जिसको जाना था, वो तो चला गया. अब तुम्हारी वजह से तुम्हारे बेटे की ज़िंदगी भी बर्बाद हो जाएगी. इसका और अपना ख्याल रखो. उसकी बात मुझे समझ आई और अगले दिन से मैंने नॉर्मल रहने की कोशिश करना शुरू कर दी.

अब तक मेरे पति की मृत्यु हुए 8 महीने बीत चुके थे. मैंने मेरे बेटे से बोला- बेटा, आज से तुम रोज स्कूल जाओ और खूब मन लगा कर पढ़ो.

कुछ देर समझाने के बाद वो भी मान गया और मैं भी अब घर के कामों में बिज़ी रहने लगी. कुछ दिनों तक सब कुछ नॉर्मल चलता रहा.

अब इधर बीच मैं मेरे बेटे के बर्ताव में बहुत बदलाव देख रही थी. बहुत बार उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन वो बात ही नहीं करता था.

कुछ दिनों तक यही सब चलता रहा. फिर एक दिन दोपहर में मेरे पास कॉल आई. मैंने फोन उठाया तो उधर से आवाज़ आई कि मैं पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूँ आपका बेटा हमारे पास बंद है, आकर छुड़ा लीजिए.

जब तक मैं कुछ पूछ पाती, तब तक उसने फोन रख दिया. अब मैं बहुत घबरा गयी थी. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं.

तभी मुझे याद आया कि मेरे पति के एक दोस्त वकील हैं. मैंने उनको कॉल किया और सारी बात बताई.
उन्होंने कहा- भाभी जी, आप चिंता मत करो … आप वहां पहुंचो, मैं भी आता हूँ.

मैं पुलिस स्टेशन पहुंची और उसी समय वकील साहब भी आ गए. पुलिस इंस्पेक्टर के पास गए, तो उसने बताया कि आपके बेटे ने स्कूल में झगड़ा किया है. इसने एक लड़के का सर फोड़ दिया है. ये स्कूल में दारू पीकर जाता है.

मैं ये सब सुनकर सन्न रह गई.

वकील साहब ने बेटे की जमानत के पेपर दिए और कुछ देर बाद पुलिस ने मेरे बेटे को छोड़ दिया. पुलिस वालों ने मेरा नंबर ले लिया और हमें जाने दिया.

हम दोनों घर आए और मेरा बेटा अपने कमरे में चला गया. मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन अभी उससे बात करना ठीक नहीं है.

शाम को मेरे मन में आया कि चलो उससे बात करती हूँ. मैं उसके कमरे में गयी, तो नजारा देख कर मेरे होश उड़ गए. वो फांसी लगा कर आत्महत्या करने जा रहा था.

मैंने उसको पकड़ा और नीचे उतारा. मैंने उसको खूब मारा और रोने लगी. तभी एकदम से वो भी मुझे पकड़ कर रोने लगा और सारी बात बताने लगा कि क्या हुआ था.

मेरे बेटे ने बताया कि पापा के जाने के बाद उसके एक दोस्त ने इस गम को दूर करने के लिए दारू का नशा लगा दिया था. जिस लड़के को इसने मारा, वो हमेशा बोलता था कि तेरे पापा मर गए हैं, तो तेरी मम्मी को मेरे पास भेज दे.

मेरे बेटा इतना कह कर रोने लगा.

मैंने उसको बहुत समझाया और बोला- तुम पढ़ लिख कर कुछ करके दिखाओ, मुझसे इसका वादा करो.
तब उसने कहा- मम्मी, मुझे स्कूल से तो निकाल ही दिया गया है.
मैंने बोला- तुम उसकी चिंता मत करो, मैं कुछ करती हूँ.

इतना बोल कर मैं बाहर आ गयी और सोचने लगी कि अब क्या करूं.

शाम को मेरे पास पुलिस इंस्पेक्टर का कॉल आया- मैं आपसे मिलना चाहता हूँ … कुछ काम है.
मैंने कहा- आप घर के पास आ जाओ, मैं आ जाती हूँ.
क्योंकि उनको घर में बुलाती तो मेरे बेटे को और पछतावा होता.

मैं घर से निकल कर कुछ दूर खड़ी हो गयी और पूछा- बताइए क्या बात है?

उसने बोला- मैडम आपके बेटे को बेल तो दे दी है लेकिन उस बच्चे के पेरेंट्स नहीं मान रहे हैं.
मैंने बोला- सर कुछ भी कीजिए … लेकिन प्लीज़ मेरे बेटे को बचा लीजिए.
उसने बोला- आपको पैसा खर्च करना होगा.
मैंने कहा- इंस्पेक्टर साब, मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं.
उसने बोला- देख लो, आप समझ लो और मुझे कल बता देना.

उसकी नजरों में कमीनपन झलक रहा था, जिससे मुझे समझ में आ गया कि वो सही आदमी नहीं है. क्योंकि वो मुझसे बात तो कर रहा था. लेकिन उसकी नज़रें मेरे मम्मों और पूरे शरीर पर थीं.

मैं पूरी रात सोचती रही कि कहां से इतने पैसे लाऊं. फिर मैंने सोचा क्यों ना ये जो चाहता है, वो इसको दे दूँ, इससे मेरा काम हो जाएगा. मैं ये काम करना तो नहीं चाह रही थी, लेकिन मुझे ये काम मजबूरी में करना था. अपने जिस्म से अपना काम निकलवाना था.

अगले दिन दोपहर में पुलिस इंस्पेक्टर का कॉल आया- क्या हुआ मैडम … आपने कुछ सोचा?
मैंने बोला- सर, मुझे आपसे कुछ बात करनी है … क्या हम मिल सकते हैं.
पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा- ठीक है शाम को 6 बजे पार्क में आ जाना.
मैंने कहा- कौन से पार्क में?
तो उसने मुझे एक पार्क का नाम बताया और बोला- वहीं मिलिए.

शाम को 6 बजे में नहाने चली गयी और तैयार होने लगी. मैंने एक हल्के ब्लू कलर की साड़ी पहन ली और जैसे हमेशा रेडी होती हूँ, वैसे तैयार हो गई.

मैंने आपको जैसा पहले भी बताया था कि मैं हमेशा स्लीवलैस साड़ी पहनती हूँ, जिसका आगे और पीछे से गला काफी डीप रहता है और साड़ी भी नाभि के नीचे बाँधती हूँ. मैं खूब बढ़िया से सज संवर कर तैयार हो गयी. मैंने जब खुद को शीशे में देखा, तो मैं बहुत सेक्सी लग रही थी. मैं अपने घर से साड़ी का पल्लू पूरा लपेट कर निकली क्योंकि मेरा बेटा देखता, तो शक करता.

मैंने उसको बोल दिया- मैं अपनी एक फ्रेंड के यहां जा रही हूँ … आने में थोड़ी देर लग जाएगी.

मैं घर से बाहर निकली, तो मैंने साड़ी का पल्लू साइड में कर लिया और सामने से थोड़ा हटा लिया, जिससे मेरे दूध अच्छे से दिखने लगें और नाभि को भी दिखाते हुए जाने लगी.

मेरी इस सेक्सी फिगर को देख कर बाहर हर कोई मुझे ही ऐसे घूर रहा था … मानो अपनी आंखों से ही मुझे चोद लेगा.

मैंने टैक्सी की और उसी पार्क में पहुंच गयी. वहां का नज़ारा तो कुछ और ही था. वहां सब लड़का लड़कियां आपस में लिपटे पड़े थे. कोई चुम्मा चाटी कर रहा तो कोई लड़का किसी लड़की की चुचियां दबा रहा था. पार्क के अन्दर जाने पर मैंने देखा कि एक लड़का अपना लंड चुसवा रहा था.

ये सब देख कर तो मेरा भी पारा बढ़ गया. फिर मैं भी एक अच्छी सी सुनसान सी जगह देख कर बैठ गयी.

कुछ देर बाद उसका कॉल आया और मैंने उसको अपने पास बुला लिया. अब उसने मुझे घूरते भुए देख कर कहा- बोलिए मैडम, क्या बात करनी है.

वो मुझे ऊपर से नीचे तक घूर रहा था. मुझे पूरा घूरने के बाद उसकी नज़र मेरी चुचियों पर टिक गयी. मैं भी जानबूझ कर उसकी तरफ थोड़ा झुक कर बैठी थी, जिससे मेरी चुचियां उसको साफ़ दिख रही थीं.

मैंने बोला- सर देखें, अभी हाल ही में मेरे पति की डेथ हुई है. मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं, मैं आपको कहां से दे सकूंगी.
इतना बोलते बोलते मैं थोड़ा नाटक करते हुए रोने लगी.

उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा और बोला- मैडम, आप रोइए मत.
उसके हाथ फेरते ही मैं कुछ और उसी की तरफ झुक गई.

वो अपना हाथ फेरते हुए मेरी पूरी पीठ पर ले आया … तो मैंने भी उसकी जांघ पर हाथ रख दिया और सहलाने लगी.

कुछ देर बाद उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया और मैं उसका लंड सहलाने लगी.

वो समझ गया कि मैं राजी हो गई हूँ, तो उसने मेरे दोनों मम्मों को दबाया और अपना लंड बाहर निकाल लिया. उसका लंड जैसे काला मूसल था … खूब मोटा सा था. लंड की लम्बाई भी 8 इंच की रही होगी. उसने मुझसे लंड मुँह में लेने का इशारा किया.

मैं भी थोड़ा झुक कर उसका लंड चूसने लगी. पहले तो मुझे ये सब बहुत खराब लग रहा था, फिर मेरे दिमाग़ में मेरे बेटे का ख्याल आया, तो मैं फिर मज़ा लेकर चूसने लगी.

अपना लंड चुसवाते हुए उसने बोला- यह जगह सही नहीं है. आप मेरे कमरे पर चलो.

मैं भी जाने को तैयार हो गयी.

वो कार से आया था, तो हम दोनों उसके कमरे पर आ गए. कमरे में आते ही उसने दरवाज़ा लॉक कर दिया और मुझ पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा.

पहले तो उसने मुझे खूब किस किया. मैंने भी उसका साथ दिया. फिर उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरी साड़ी और ब्लाउज दोनों उतार दिए. अब मेरी 36 की खूब बड़ी चुचियां उसके सामने नंगी थीं. वो उसको चूसने और चाटने लगा.

उसने इतना चूसा कि मेरी दोनों चुचियां एकदम लाल हो गईं. मुझे दर्द भी हो रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था. आज मैं पहली बार अपने पति के बाद किसी और से चुदवाने वाली थी.

उसके बाद उसने मेरी पेटीकोट ऊपर किया और बोला- इतनी मस्त चूत पहली बार देख रहा हूँ … इतनी चिकनी चमेली चुत मुझे अब तक नहीं मिली.

मेरी चूत पर एक भी बाल नहीं थे. फिर कुछ देर उसने मेरी चूत चाटी और अपनी उंगली मेरे गांड के छेद में करने लगा. मेरी गांड की सील भी खुली थी क्योंकि मेरे पति मेरी गांड भी मारते थे. मैं तो बस सिसकारियां भर रही थी.

वो इंस्पेक्टर खड़ा हुआ और उसने अपने सारे कपड़े निकाल कर लेट गया. मैं समझ गयी कि मुझे भी इसका लंड चूस कर इसको खुश करना है.
मैंने भी कुछ देर तक लंड चूसा और मजा लेने लगी.

कुछ देर बाद उसने मुझे चुदाई की पोजीशन में लिटा दिया और अपना लंड मेरी चूत पर रख कर एक ज़ोर का झटका दे मारा. उसका पूरा लंड मेरे अन्दर घुसता चला गया था. मेरी तो चीख निकल गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ क्योंकि उसका लंड बहुत मोटा था.

एक दो झटकों में ही लंड ने चुत में जगह बना ली थी. उसने मेरी चुदाई शुरू कर दी. मुझे बड़ा मजा आने लगा था. आज न जाने कितने दिनों के बाद लंड अन्दर गया था.

मुझे चरम सुख जैसी प्राप्ति हो रही थी. मैं कामुक सिसकारियां लेने लगी और ज़ोर ज़ोर से ‘उफ्फ़ अहह यससस्स ओह उफ्फ़ यहह … फक्क मी … उफफ्फ़..’ की आवाजें निकालने लगी.

कुछ देर मेरी चूत चुदाई करने के बाद इंस्पेक्टर साहब ने मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरी गांड में थोड़ा तेल लगा कर एक ही झटके में अपना लंड मेरे अन्दर तक डाल दिया.

इस बार मुझे बहुत दर्द हुआ, लेकिन उसने मेरा मुँह तकिए में घुसा दिया और मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा.

कुछ देर चोदने के बाद इंस्पेक्टर ने मुझे सीधा बैठाया और खुद बेड के नीचे खड़ा हो गया. उसने अपने लंड को मेरे मुँह में दे दिया और मेरे मुँह को चोदने लगा. कुछ देर बाद उसने मेरे मुँह में ही लंड झाड़ दिया.

चुदाई से फ्री हुई तो उसने एक सिगरेट पीते हुए मुझे देखा और कहा- बड़ी मस्त माल हो.
मैंने अपने कपड़े पहने और इंस्पेक्टर से पूछा- मेरे बेटे के लिए क्या कहते हो?

उसने बोला- अब आप निश्चिंत हो कर जाइए … अब आपके बेटे को कुछ नहीं होगा … लेकिन बस इसी तरह मेरा ख्याल रखती रहिएगा.
मैं कुछ नहीं बोली.

वो बोला- चलिए आपको घर छोड़े देता हूँ.

मेरी एक दिक्कत आसान हो गई थी. अब मेरे बेटे के स्कूल की समस्या बाकी थी. अगले दिन में जल्दी उठ कर नहा धो कर तैयार हो गयी और फिर एकदम सेक्सी बन गयी.

मेरा बेटा अभी तक सो रहा था, तो मैंने उसको उठाना सही नहीं समझा और मैं उसके स्कूल के लिए निकल गई.

मैं स्कूल पहुंची, तो सीधे प्रिन्सिपल ऑफिस में चली गयी.

अन्दर प्रिन्सिपल साहब बैठे हुए थे. मैंने देखा कि वो लगभग 50 साल की उम्र का व्यक्ति था, लेकिन एकदम मोटा तगड़ा था.
जैसे ही उसने मुझे देखा, तो मुझे देख कर जैसे उसके मुँह से राल ही टपक गयी.

मैंने उससे नमस्ते की तो उसने मुझे बैठने के लिए कहा. मैंने उनसे बात की और सारी बात बताई. मैंने उनसे फिर से मेरे बेटे को स्कूल में पढ़ने आने देने के लिए कहा.

तभी मेरे बेटे के क्लास टीचर भी आ गया और वो मेरी बगल वाली कुर्सी में बैठ गया. प्रिन्सिपल ने उससे मेरी पहचान कराई और मैंने उनको भी सब बातें बता दीं.

वो दोनों कहने लगे कि उसका फिर से एडमिशन बड़ा मुश्किल है, क्योंकि पुलिस केस हो गया है. अब इससे हमारे स्कूल का नाम खराब होगा.

इतनी देर में मैंने महसूस किया कि मेरे बेटे के क्लास टीचर ने अपनी बांह मेरे बदन से सटाना चालू कर दी थी.

मैंने उसी पल टीचर की जांघ पर हाथ रखा और बोला- प्लीज़ सर एक बार मान जाइए, आप लोग जो भी बोलेंगे, मैं करने को तैयार हूँ.

शायद टीचर ने प्रिन्सिपल को कुछ इशारा कर दिया था. मेरी खुशामदगी से वो दोनों भी समझ गए कि माल खुद चुदने की कह रहा है.

प्रिन्सिपल ने मुझसे बोला- देखिए आप शाम को मेरे रूम पर आइए, फिर बात करते हैं. देखते हैं क्या हो सकता है.

उसने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया और मुझे शाम को स्कूल बुलाया. प्रिन्सिपल वहीं स्कूल में रहता था. मैं समझ गयी थी कि मुझे अपनी चूत इन दोनों को भी देनी पड़ेगी.

मैं शाम को फिर स्कूल आई और प्रिन्सिपल के रूम तक मुझे ले जाने उसके क्लास टीचर आए थे. मैं समझ गयी थी कि ये दोनों साथ मिल कर मेरी चुदाई करेंगे. यह स्टोरी आप पढ़ रहे हैं sexstoryqueen.com पर |

मैं प्रिन्सिपल के कमरे में अन्दर गयी, तो देखा कि सामने बेड पर प्रिन्सिपल बैठा था. उसके सामने वाले सोफे पर मैं बैठ गयी और बगल वाले पर क्लास टीचर बैठ गया.

अब हम तीनों बात करने लगे. वो दोनों किसी भी तरह से मेरे बेटे को रखने के लिए नहीं तैयार थे.

मैंने नाटक शुरू किया और अपनी इमोशनल बात करते हुए रोने लगी.
मेरी रोती हुई दशा देख कर क्लासटीचर मेरी बगल में आकर मुझे सांत्वना देने लगा. मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे सहलाने लगा.

तभी दूसरी तरफ से प्रिन्सिपल भी आ गया, उसने भी मेरी जांघ पर हाथ रख दिया.

जब मैंने कोई विरोध नहीं किया, तो वो दोनों मुझे सहलाने लगे और मुझे चुप करवाने लगे.

मैंने भी प्रिन्सिपल के लंड पर हाथ रख दिया और उनकी गोद में लेटी सी हो गई. ये देख कर टीचर जी मेरे मम्मों पर हाथ फेरने लगा. मैंने भी उन दोनों की बांहों में खेलना शुरू कर दिया. वे दोनों मुझे चूमने और सहलाने लगे. प्रिन्सिपल ब्लाउज के ऊपर से ही मेरी चूचियों को मसलने लगा.

फिर उन दोनों ने मेरा ब्लाउज उतार दिया और दोनों मेरी चुचियों को मसलने, दबाने, चूसने, चाटने लगे.

कुछ पल बाद प्रिन्सिपल सोफे पर सीधे लेट गया. उसने अपनी ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथ में थमा दिया. प्रिन्सिपल का लंड 6 इंच का था.

पहले मैंने हाथ से सहला कर प्रिन्सिपल का लंड खड़ा किया, फिर सोफे पर झुक कर लंड चूसने लगी.

तभी पीछे से टीचर ने मेरी साड़ी को उठाया और अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया और चोदने लगा. उसका लंड भी 6 या 7 इंच का ही लग रहा था.

कुछ देर बाद वो दोनों मुझे बेड पर ले गए और बारी बारी दोनों ने मेरी चूत और गांड मारी. पहले प्रिन्सिपल ने मेरे मुँह में लंड झाड़ा, फिर टीचर ने भी मुझे रस पिला दिया.

चुदाई खत्म हुई तो मैंने कपड़े पहने और उनकी तरफ सवालिया निगाह से देखा.

प्रिन्सिपल बोला- सोमवार से अपने बेटे को स्कूल भेज दीजिएगा. अब अगर आगे ऐसा कोई काम हुआ, तब हम कुछ नहीं कर सकेंगे. आप भी हमें ऐसे ही वक़्त वक्त पर खुश करती रहिएगा.
उनकी बात सुनकर मैं खुश हो कर अपने घर आ गई.

मेरे बेटे ने पूछा- मम्मी आप कहां गयी थीं?
तो मैंने उससे झूठ बोल दिया कि मेरी एक फ्रेंड हॉस्पिटल में एडमिट है, उसी को देखने गई थी. हां तुम्हारे स्कूल से बात हो गयी है, सोमवार से तुमको जाना है … लेकिन पहले प्रॉमिस करो कि जो हुआ था, अब कभी नहीं होगा.
उसने प्रॉमिस किया और बोला- अब मैं खूब मन लगा कर पढूंगा, लेकिन आप ये तो बताओ कि मेरे स्कूल वाले माने कैसे?

मैंने उससे झूठ बोला- तुम्हारे पापा के एक फ्रेंड थे, उन्हीं से कॉल कराया था.
अब मैं उसे क्या बताती कि तुम्हारी मम्मी सबसे चुदवा रही है.

बेटा बोला- मम्मी मेरा एक और काम करा दो.
मैंने बोला- क्या?
उसने कहा- मैं स्पोर्ट्स में था और जो एक बार झगड़ा कर लेता है, उसको स्पोर्ट्स से निकाल देते हैं, मुझे दोबारा स्पोर्ट्स में करवा दो … प्लीज़ मम्मी … आप अंकल से कॉल करवा दो न.
मैंने बोला- ठीक है.

अब सोमवार आया और मेरा बेटा स्कूल गया. उसके स्पोर्ट्स वाले सर से भी मुझे चुदवाने जाना था. मेरा मतलब है स्पोर्ट्स में उसका फिर से सिलेक्शन करवाने जाना था.

आज मैंने शॉर्ट स्कर्ट पहना और ऊपर शर्ट वाइट डाल ली. मैं स्कूल गयी. गेट पर मैंने स्पोर्ट्स वाले सर के बारे में पूछा. कुछ अलग सी जगह पर उनका रूम था. उनका रूम स्कूल के बिल्कुल लास्ट में वॉलीबाल कोर्ट के बाद था. मैं उनके रूम में चली गयी.

मेरे इस ड्रेस की वजह से सब मुझे ही देख रहे थे, लेकिन मुझे इस ड्रेस में अपने बेटे से बचना था. वो मुझे अपने स्कूल में देख लेता, तो बहुत दिक्कत हो जाती.

स्पोर्ट्स वाले सर के रूम में पहुंचने से पहले मैंने मेरी शर्ट का एक बटन खोल लिया, जिससे मेरा क्लीवेज और ज़्यादा दिखने लगा.

मैं उनके पास उनके रूम में घुस गयी. वो अकेले थे और कुछ काम कर रहे थे. मैं उनके टेबल के पास पहुंची, तो आहट पाकर उन्होंने अपना सर ऊपर किया.

जैसे ही उन्होंने मुझे इस मादक अंदाज में खड़े देखा, वो तो बस मुझे एकटक देखते रह गए.
मैंने उनका ध्यान खुद पर से हटाने के लिए बोला- आप ही यहां के गेम्स के टीचर हैं.

वो तुरंत खड़े हो गए और मुझे बैठने को बोला.
उन्होंने कहा- जी हां मैं ही हूँ. बताइए आपको मुझसे क्या काम है?

फिर मैंने उनसे अपनी पूरी बात बताया, तो वो बोला- देखिए मैडम सॉरी, मैं इसमें आपकी कोई मदद नहीं कर सकता.
मैं एकदम निराश हो गयी थी.

तभी दरवाजे पर एक आया पानी लेकर आई तो वे उठ कर पानी पीने लगे.
सर ने मुझसे भी पानी के लिए पूछा तो मैंने मना कर दिया.

उन्होंने पानी पी कर गिलास आया को दे दिया और वो चली गयी, वो रूमाल से अपना हाथ और मुँह पौंछने लगे.

मैं उठी और उनके पास गयी और जाते ही नीचे बैठ कर उनके पैर पकड़ कर रिक्वेस्ट करने लगी.
इससे सर एकाएक घबरा गए और बोले- अरे अरे उठिए … ये आप क्या कर रही हैं?

मैं धीरे धीरे थोड़ा ऊपर होने लगी और उनके पैर सहलाने लगी. फिर मैं खड़ी हो गयी और मैंने बेहिचक उनके लंड पर हाथ रख दिया और लंड सहलाने लगी.

सर बोलने लगे- ये आप क्या कर रही हैं.
मैंने इठलाते हुए बोला- क्यों पसंद नहीं है … हटा लूं हाथ!

ये सुनकर वो चुप हो गए और तभी मैंने खड़े होकर उनके दोनों हाथ अपनी चुचियों पर रख दिए और उनका लंड पैंट से बाहर निकल कर सहलाने लगी.

अब वो भी पहले तो धीरे धीरे, फिर तेज़ तेज़ मेरे दोनों मम्मों को दबाने लगे. कुछ पल बाद मैं नीचे बैठ कर उनका लंड अपने मुँह में ले कर चूसने लगी. उन्होंने भी हाथ बढ़ा कर दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया और आंख बंद करके लंड चुसवाने लगे.

इन सर का लंड 8 इंच का था, काफी मोटा तगड़ा लंड था.

कुछ देर अपना लंड चुसवाने के बाद सर ने मुझे खड़ा किया और मुझे होंठों पर किस करने लगे. उन्होंने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और मेरी शर्ट को उतार कर साइड में रख दिया. मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे दोनों मम्मों को चूसने चाटने और दबाने लगे.

थोड़ी देर बाद सर ने मेरी ब्रा भी उतार दी और मेरे दोनों नंगे मम्मों से मज़ा लिया.

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फिर उन्होंने मुझे अपनी मेज पर सीधे लिटा दिया और मेरी पेंटी को उतार कर मेरे चूत को चाटने लगे. मुझे भी मजा आने लगा तो मैंने भी अपनी टांगें हवा में उठा दीं और चुत चुसाई का मजा लेने लगी.

कुछ देर तक चुत चाटने के बाद उन्होंने मुझे नीचे खींचा और मुझे औंधा करके टेबल पर लिटा दिया. इस समय मेरे दोनों पैर ज़मीन पर थे.
फिर उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर मुझे थोड़ा सा उठाया और मेरी चूत में अपना पूरा लंड डाल दिया.

एक मादक कराह के साथ मैंने उनके लंड को जज्ब कर लिया. सर मुझे चोदने लगे और मेरी कामुक सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं. ‘उफ्फ आंह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… फक मी यसस्स … उफफ्फ़ अहह.

मैं इसी तरह की मादक आवाजें निकालते हुए अपनी चुत में लंड का मज़ा ले रही थी.

कुछ देर मेरी चूत चोदने के बाद उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और हिलाते हुए मेरी गांड के छेद को कुरेदने लगे. सर ने मेरी गांड में खूब सारा थूक लगा कर गांड को ढीला और चिकना किया.

इससे मैं समझ गई कि अब गांड मारी जाएगी. यही हुआ भी सर ने अपना लंड मेरी गांड के अन्दर डाल दिया. उनका लंड जैसे ही मेरी गांड में घुसा, मुझे भी मज़ा आ गया.

अब वो अपनी फुल स्पीड में मेरी गांड चुदाई कर रहे थे. कुछ देर गांड मारने के बाद उन्होंने मुझे सीधा किया और मुझे नीचे बैठा दिया.
सर ने अपना लंड मेरे मुँह में डाला और मुँह चोदने लगे.

करीब दो मिनट बाद उन्होंने अपना पूरा माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया और मैं भी उनके लंड का सारा रस पी गयी.

चुदाई के कुछ मिनट बाद हम दोनों ने कपड़े पहन लिए. मैंने उनसे मेरे बेटे के लिए पूछा, तो वो बोले- आप अपना नंबर दे दीजिए, काम हो जाएगा.

सर से चुदने के बाद मैं घर आ गयी.

दोपहर में जब मेरा बेटा आया, तो वो बहुत खुश था.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- मेरा स्पोर्ट्स में सिलेक्शन हो गया.

अब मैं और मेरा बेटा हम दोनों खुशी से अपना जीवन बिता रहे थे … लेकिन मुझे इस खुशी की कीमत अभी तक अलग अलग लोगों से चुदवा कर चुकानी पड़ रही है.

जो मुझे चोद चुके थे, वे भी जब मन होता मुझे बुला लेते और मुझे खूब चोदते हैं. अभी तक मैं कई बार इन लोगों से चुद चुकी हूँ. अब तो मुझे भी इनसे चुदने में मज़ा आता है.

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