AC सेकंड क्लास में पर्दा लगाकर मामी की मस्त चुदाई

AC सेकंड क्लास में पर्दा लगाकर मामी की मस्त चुदाई

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Mami ki Chudai 2nd Class AC Train me : हाय दोस्तों, मेरा नाम रोहन है। उम्र 23 साल, लंबा, गठीला, और मेरा मोटा, काला लंड किसी की भी चूत को तड़पा सकता है। मैं दिल्ली में पढ़ाई करता हूँ, और पिछले महीने मुझे अपने गाँव जाना था। सफर ट्रेन का था—AC सेकंड क्लास में। मेरे साथ मेरी मामी, राधा, थीं। मामी 35 साल की थीं—गोरी, भरे हुए चूचियाँ जो साड़ी में कैद थीं, और एक मटकती गांड जो हर बार मुझे पागल कर देती थी। उनका चेहरा नशीला था, लंबे बाल उनकी कमर तक लहराते थे, और उनकी आँखों में एक शरारत हमेशा झलकती थी। मामा की तबियत खराब थी, तो मामी मुझे साथ ले जा रही थीं। लेकिन AC सेकंड क्लास के उस पर्दे के पीछे जो हुआ, उसने मामी की चूत और मेरे लंड की प्यास को एक नया नशा दे दिया। ये मेरी सबसे मस्त कहानी है, जो आपको अंत तक गर्म रखेगी।

उस दिन शाम ढल रही थी। हमारी ट्रेन दिल्ली से रवाना हुई थी, और हमें रातभर का सफर करना था। AC सेकंड क्लास का कोच ठंडा और शांत था। हमारी बर्थ साइड लोअर थी, और चारों तरफ पर्दे लटक रहे थे। मामी ने एक काले रंग की साड़ी पहनी थी, जो उनके गोरे जिस्म से चिपक रही थी। उनका ब्लाउज टाइट था, और उनकी चूचियाँ बाहर उभर रही थीं। मैंने काली टी-शर्ट और जींस पहनी थी, और मेरा लंड उनकी चूचियों को देखते ही पैंट में तन गया था। ट्रेन चल पड़ी, और रात गहराने लगी। कोच में कुछ लोग थे, लेकिन सब अपने-अपने पर्दे के पीछे सो रहे थे। मामी मेरे सामने वाली बर्थ पर लेटी थीं। उनकी साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया था, और उनकी गोरी नाभि चमक रही थी। मैं उनकी चूचियों को घूर रहा था, जो हर साँस के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं। “रोहन, नींद नहीं आ रही क्या?” मामी ने धीरे से पूछा। मैंने शरारत से कहा, “मामी, आप इतनी मस्त लग रही हो, नींद कैसे आएगी?”

 

उनकी आँखों में चमक आ गई। वो उठीं और मेरी बर्थ के पास आकर बैठ गईं। “शैतान, अपनी मामी से ऐसी बात करता है?” उन्होंने हँसते हुए कहा। मैंने हिम्मत की और पर्दा पूरा नीचे कर दिया। AC का ठंडा माहौल और पर्दे की गोपनीयता ने मुझमें आग लगा दी। “मामी, ट्रेन में कोई नहीं देखेगा। थोड़ी मस्ती कर लें,” मैंने उनके कान में फुसफुसाया। उनकी साँसें तेज हो गईं, “उफ्फ… रोहन… ये क्या बोल रहा है…” मैंने उनका पल्लू नीचे खींचा, और उनकी चूचियाँ ब्लाउज से बाहर उभर आईं। मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोले, और उनकी गोरी, मोटी चूचियाँ मेरे सामने थीं—निप्पल सख्त और गुलाबी। मैंने एक चूची को मुँह में भर लिया। “उफ्फ… मामी… आपकी चूचियाँ कितनी मस्त हैं… आह्ह्ह…” मैं उनके निप्पल को चूस रहा था, और मेरी उंगलियाँ उनकी दूसरी चूची को मसल रही थीं। “आह्ह्ह… रोहन… धीरे चूस… मेरी चूचियाँ दुख रही हैं… ओहhh…” वो सिसकार रही थीं। उनकी सिसकारियाँ पर्दे के पीछे दब रही थीं, और ट्रेन की हल्की हलचल माहौल को और सेक्सी बना रही थी।

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मैंने उनकी साड़ी ऊपर उठाई। उनकी गोरी जांघें मेरे सामने थीं, और मैंने उनका पेटीकोट नीचे खींच दिया। उनकी चूत मेरे सामने थी—चिकनी, गोरी, और हल्के बालों से ढकी। “मामी, आपकी चूत तो ट्रेन के AC से भी ज़्यादा ठंडी और मस्त है,” मैंने कहा। वो डर गईं, “रोहन… ट्रेन में… उफ्फ… कोई सुन लेगा…” लेकिन मैंने उनकी चूत पर अपनी जीभ फिराई और चाटना शुरू कर दिया। “आह्ह्ह… रोहन… क्या कर रहा है… मेरी चूत में आग लग रही है… ओहhh…” वो सिसकार रही थीं। मैं उनकी चूत के होंठों को चूस रहा था, और उनकी चूत गीली हो रही थी। “उफ्फ… मामी… आपकी चूत का रस ट्रेन के सफर को मस्त बना रहा है… आह्ह्ह…” मैंने उनकी चूत में अपनी उंगलियाँ डाल दीं। “उफ्फ… रोहन… दर्द हो रहा है… मेरी चूत फट रही है… आह्ह्ह…” वो तड़प रही थीं। उनकी चूत से रस टपक रहा था, और मेरा लंड पैंट में तड़प रहा था।

मैंने अपनी पैंट नीची की, और मेरा मोटा, काला लंड बाहर आ गया—लंबा, सख्त, और नसों से भरा हुआ। मामी उसे देखकर डर गईं। “रोहन… ये बहुत बड़ा है… मेरी चूत फट जाएगी… उफ्फ…” वो काँप रही थीं। मैंने पर्दे को फिर से चेक किया—कोई हलचल नहीं थी। “मामी, AC में पर्दा है। कोई नहीं देखेगा,” मैंने कहा और उनका मुँह पकड़कर अपना लंड उनके होंठों पर रगड़ा। “चूसो इसे, मामी। ट्रेन का मज़ा लो,” मैंने कहा। उन्होंने डरते-डरते मेरा लंड मुँह में लिया। “उम्म… रोहन… कितना मोटा है… उफ्फ…” वो चूस रही थीं, और मेरा लंड उनके गले तक जा रहा था। मैंने उनके बाल पकड़कर उनके मुँह को चोदा, “चूसो, मामी… मेरे लंड को गीला कर दो… आह्ह्ह…” उनकी चूसने की आवाज पर्दे के पीछे दब रही थी, और ट्रेन की ठंडक माहौल को और गर्म कर रही थी।

 

फिर मैंने उन्हें बर्थ पर लिटाया। AC की ठंडी हवा हमारे नंगे जिस्मों को छू रही थी। मैंने उनकी टाँगें चौड़ी कीं, और उनकी चूत मेरे सामने थी। “मामी, अब आपकी चूत में मेरा लंड जाएगा,” मैंने कहा और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। “रोहन… धीरे करना… ट्रेन में शोर मत कर… उफ्फ…” उन्होंने कहा। मैंने पर्दे को कसकर बंद किया और एक जोरदार झटका मारा। मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया। “आह्ह्ह्ह… मर गई… रोहन… निकाल दो… मेरी चूत फट गई… उफ्फ…” वो दर्द से सिसकार पड़ीं, लेकिन अपनी चीख दबा लीं। मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अंदर तक जा चुका था। मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा, ताकि शोर न हो। “थप-थप-थप” की हल्की आवाज पर्दे के पीछे गूँज रही थी। “मामी, आपकी चूत को AC में चोदने का मज़ा ही अलग है,” मैं गंदी बात करते हुए उनकी चूचियाँ मसल रहा था। वो कराह रही थीं, “आह्ह्ह… रोहन… धीरे… मेरी चूत जल रही है… ओहhh…”

धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया। मामी ने मेरी कमर पकड़ ली और फुसफुसाई, “चोद दो… अपनी मामी की चूत को फाड़ दो… आह्ह्ह…” मैं उनकी चूत को जमकर चोद रहा था। ट्रेन की हल्की हलचल और AC की ठंडक मेरे धक्कों को और मस्त बना रही थी। फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया। उनकी गांड मेरे सामने थी, और मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा। “मामी, आपकी गांड भी चोदूँगा। ट्रेन का पूरा मज़ा लूँगा,” मैंने कहा। मैंने उनकी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड उसकी दरार में रगड़ा। “रोहन… गांड मत मार… उफ्फ… फट जाएगी…” वो डर गईं। लेकिन मैंने उनका मुँह दबाया और अपना लंड उनकी गांड में सरकाना शुरू किया। “आह्ह्ह्ह… मर गई… रोहन… निकाल दो… ओहhh…” वो दर्द से सिसकार रही थीं। मेरा लंड उनकी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। मैं उनकी गांड को चोदने लगा, और उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उफ्फ… रोहन… धीरे… मेरी गांड फट रही है… आह्ह्ह…” धीरे-धीरे मज़ा आने लगा, और वो फुसफुसाईं, “चोद दो… मेरी गांड को भी फाड़ दो… ओहhh…”

रात गहराने लगी थी। मैंने उन्हें फिर से लिटाया और उनकी चूत में लंड पेल दिया। “मामी, AC में पर्दे के पीछे आपकी चूत मस्त लग रही है,” मैं गुर्रा रहा था। वो सिसकार रही थीं, “आह्ह्ह… रोहन… चोदो… मेरी चूत को भर दो… उफ्फ…” मेरा लंड उनकी चूत की गहराई तक जा रहा था, और उनकी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। मैं उनकी चूचियों को चूस रहा था, और मेरी उंगलियाँ उनकी गांड में घुस रही थीं। “उफ्फ… रोहन… मेरे दोनों छेद भर दो… आह्ह्ह…” वो सिसकार रही थीं। मैंने उन्हें जमकर चोदा। ट्रेन की सीट हल्के से हिल रही थी, और पर्दा हमारी मस्ती को छुपा रहा था। आखिर में मेरा रस उनकी चूत में छूट गया। “आह्ह्ह… मामी… ले मेरा रस… ट्रेन का मज़ा पूरा करो…” मैं फुसफुसाया। वो भी झड़ गईं, और हमारा रस बर्थ पर फैल गया।

हम दोनों थककर लेट गए। उनकी चूचियाँ मेरे हाथों में थीं, और उनकी चूत अभी भी गीली थी। “रोहन, तूने AC में पर्दा लगाकर मुझे चोद दिया,” वो हँसते हुए बोलीं। मैंने कहा, “मामी, आपकी मस्त चुदाई के बिना ट्रेन का सफर अधूरा था।” उस रात के बाद मामी मेरे साथ हर सफर में मस्ती करती हैं। दोस्तों, मेरी ये मस्त कहानी आपको कैसी लगी? अंत तक सेक्सी रही न?

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