Chhote bhai ki patni ko choda छोटे भाई की पत्नी को चोदा

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(Jeth ji sex)

Jeth ji sex नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम अजय है। मेरी उम्र 38 साल है, और मैं ग्रेटर नोएडा में रहता हूँ। मेरे परिवार में मेरी पत्नी रीता, जो 35 साल की है, हमारे दो बच्चे – 10 और 7 साल के, मेरी माँ, जिनकी उम्र 62 साल है, मेरा छोटा भाई राहुल, जो 32 साल का है, और उसकी पत्नी अंशिका, जो 26 साल की है, शामिल हैं। माँ की तबीयत अक्सर खराब रहती है, इसलिए उनकी देखभाल के लिए घर पर कोई न कोई चाहिए। राहुल की शादी को दो साल हो चुके हैं, लेकिन वो मुंबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है और वहाँ अकेले रहता है। यह स्टोरी आप पढ़ रहे हैं sexstoryqueen.com पर | Chhote bhai ki patni ko choda

अंशिका हमारे साथ यहाँ रहती है। मैं अपने बारे में बता दूँ – मेरा अपना जिम है, और साथ में प्रॉपर्टी डीलिंग का बिजनेस भी चलता है। रोज़ दो बार जिम करने और देसी खाने-पान की वजह से मेरा शरीर हट्टा-कट्टा है। 6 फुट का कद, चौड़ा सीना, मज़बूत बाजू, और टोन्ड बॉडी – मेरी फिजिक देखकर लड़कियाँ तो क्या, औरतें भी फिदा हो जाती हैं। रीता से मेरे रिश्ते अच्छे हैं, लेकिन बच्चों के जन्म के बाद उसकी सेक्स में रुचि लगभग खत्म हो गई है। मेरा मन तो रोज़ चुदाई का करता है, लेकिन उसकी उदासीनता की वजह से मेरी प्यास अधूरी रहती है। Chhote bhai ki patni ko choda

अब अंशिका की बात। 26 साल की अंशिका का बदन ऐसा है कि कोई भी मर्द उसे देखकर लंड खड़ा कर ले। गोरा, चिकना रंग, भरा हुआ शरीर, 36 इंच के मोटे-मोटे चूचे, जो ब्लाउज़ में हमेशा तने रहते हैं, और गोल, भारी गाँड़, जो साड़ी में चलते वक्त लचकती है। उसकी पतली कमर और मोटी, रसीली जाँघें देखकर हर मर्द के दिमाग में चुदाई के ख्याल आ जाएँ। उसकी आँखों में शरारत और होंठों पर हल्की मुस्कान हमेशा रहती है, जो उसे और सेक्सी बनाती है। लेकिन क्योंकि वो मेरे छोटे भाई की पत्नी है, मैंने कभी उसे गलत नज़र से नहीं देखा। पर एक रात ऐसी आई कि सारी हदें टूट गईं, और मैंने उसकी चूत की आग बुझाई, और अपनी प्यास भी। Chhote bhai ki patni ko choda

बात उस दिन की है जब रीता के ताऊ की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई। हम पूरा परिवार उनके गाँव चले गए। माँ की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए वो और अंशिका घर पर रुक गए। मैं रीता और बच्चों को लेकर ससुराल गया। अगले दिन अंतिम संस्कार के बाद मैंने घर लौटने का फैसला किया, क्योंकि जिम और बिजनेस को बंद नहीं रख सकता था। रीता ने कहा कि वो तेरहवीं के बाद आएगी। मैं अकेले ही शाम तक घर पहुँच गया। घर पर सब सामान्य था। अंशिका ने खाना बनाया, मैंने नहाकर खाना खाया और अपने कमरे में सोने चला गया। अगला दिन भी आम दिन की तरह बीता। लेकिन उस रात कुछ ऐसा हुआ कि मेरी ज़िंदगी बदल गई। Chhote bhai ki patni ko choda

रात को अंशिका ने माँ को 8 बजे खाना खिलाकर 9 बजे तक सुला दिया। मैंने भी खाना खाया और अपने कमरे में मोबाइल चलाने लगा। रीता के बिना बिस्तर सूना लग रहा था, और नींद नहीं आ रही थी। करीब 10 बजे मैं टॉयलेट के लिए उठा, तो गेस्ट रूम में लैंप की रोशनी दिखी। मुझे लगा कोई भूल से लाइट छोड़ गया। Chhote bhai ki patni ko choda

टॉयलेट से लौटते वक्त मैं लाइट बंद करने गया। गेस्ट रूम के पास पहुँचा तो हल्की सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दी – “आह्ह… उह्ह…”। मैं ठिठक गया। सोचा, घर में तो सिर्फ माँ और अंशिका हैं, फिर ये आवाज़ कौन की? कहीं चोर तो नहीं घुस आया? मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला, जो पूरी तरह बंद नहीं था। अंदर झाँका तो मेरे होश उड़ गए। अंशिका बेड पर थी, और वो कुछ ऐसा कर रही थी जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। Chhote bhai ki patni ko choda

अंशिका बेड पर लेटी थी, उसकी नीली साड़ी उतरी हुई थी, और पेटीकोट कमर तक उठा हुआ था। उसकी गुलाबी कच्छी टखनों तक खिसकी थी, और वो अपनी चूत में दो उंगलियाँ डालकर ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर कर रही थी। उसका ब्लाउज़ खुला था, और गुलाबी ब्रा से एक चूचा बाहर निकला था, जिसका निप्पल सख्त और गुलाबी था। वो अपने चूचे को एक हाथ से मसल रही थी, और उसकी सिसकारियाँ – “आह्ह… ओह्ह… और…” – कमरे में गूँज रही थीं। Chhote bhai ki patni ko choda

उसका गोरा, भरा बदन लैंप की रोशनी में चमक रहा था। मोटी जाँघों के बीच उसकी चूत गीली थी, और उंगलियाँ चूत के रस से चमक रही थीं। ये नज़ारा देखकर मेरा 8 इंच का लंड पजामे में तन गया। मेरे शरीर में करंट-सा दौड़ा, और मैं खड़ा-खड़ा उसे देखता रहा। मेरा हाथ अपने आप लंड पर चला गया, और मैंने उसे हल्का सहलाया। तभी गलती से मेरा कंधा दरवाज़े से टकराया, और दरवाज़ा पूरा खुल गया। Chhote bhai ki patni ko choda

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अंशिका ने मुझे देख लिया। वो चौंककर साड़ी से खुद को ढकने लगी। उसकी आँखों में शर्म, डर, और हल्की घबराहट थी। मैं भी शर्मिंदगी महसूस कर रहा था। बिना कुछ बोले मैं अपने कमरे में लौट आया। उस रात नींद नहीं आई। मन में कई ख्याल घूम रहे थे – क्या मैंने गलत किया? अंशिका को राहुल के न होने की वजह से इतनी प्यास क्यों है? और तीसरा ख्याल – काश मैं उसकी चूत को चोदकर उसकी प्यास बुझा पाता। ये सोचते-सोचते पता नहीं कब नींद आ गई। Chhote bhai ki patni ko choda

सुबह 5 बजे उठकर मैं जिम चला गया। पूरा दिन जिम में बिताया, लेकिन अंशिका का वो नज़ारा दिमाग से नहीं निकल रहा था। दोपहर को नाश्ते के लिए घर आया, तो अंशिका किचन में हरे रंग के सलवार-कमीज़ में काम कर रही थी। उसकी गाँड़ और मोटे चूचे सूट में उभर रहे थे। पहले मैंने उसे कभी ऐसी नज़र से नहीं देखा, लेकिन अब सब बदल गया था। हम दोनों एक-दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे। उसने चुपचाप नाश्ता परोसा, और मैं खाकर जिम वापस चला गया। रात को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में था। अंशिका ने माँ को सुला दिया था। करीब 10 बजे मेरे दरवाज़े पर दस्तक हुई। मैंने खोला तो सामने अंशिका खड़ी थी, लाल साड़ी में, जिसका पल्लू हल्का खिसका हुआ था। उसके चूचे ब्लाउज़ में उभरे हुए थे, और गोरा बदन साड़ी में चमक रहा था। मैं हैरान था। Chhote bhai ki patni ko choda

मैं (मुँह फेरकर): “क्या बात है, अंशिका? कुछ काम था?”

अंशिका (झिझकते हुए): “जेठ जी, आपसे थोड़ी बात करनी थी। अगर आपके पास वक्त हो तो।”

मैं: “हाँ, अंदर आ जाओ। बैठकर बात करते हैं।”

मैंने दरवाज़ा हल्का बंद किया। अंशिका मेरे कमरे के सोफे पर बैठ गई, और मैं उसके सामने वाले सोफे पर। उसने नज़रें नीचे रखीं, और साड़ी का पल्लू ठीक किया। Chhote bhai ki patni ko choda

मैं: “बोलो, क्या बात है?”

अंशिका (शर्माते हुए): “जेठ जी, कल रात जो हुआ, उसके बारे में… मैं नहीं चाहती कि आप मुझे गलत समझें। मैं वैसी औरत नहीं हूँ। बस, कल रात मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ। मुझे अपने रूम में करना चाहिए था, लेकिन मुझे लगा सब सो रहे हैं, तो गेस्ट रूम में चली गई।” Chhote bhai ki patni ko choda

मैं (शांत स्वर में): “अंशिका, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं। तुम जवान हो, शादी को बस दो साल हुए हैं, और राहुल यहाँ नहीं रहता। मैं तुम्हारी हालत समझ सकता हूँ। ये कोई गलत बात नहीं, ये तो शरीर की ज़रूरत है। और ये घर तुम्हारा भी है, तुम कोई भी कमरा यूज़ कर सकती हो।”

अंशिका (नज़रें नीचे): “पर मुझे कल से बहुत शर्मिंदगी हो रही है। ऐसा लग रहा है कि कुछ गलत हो गया।”

मैं: “कुछ भी गलत नहीं हुआ। शरीर की प्यास मिटाना कोई गुनाह नहीं। मुझे बस ये देखकर दुख हुआ कि तुम्हें अपनी ज़रूरत इस तरह पूरी करनी पड़ रही है।” Chhote bhai ki patni ko choda

अंशिका (हल्की साँस छोड़ते हुए): “आप सही कह रहे हैं, जेठ जी। मैं अपनी शादीशुदा ज़िंदगी का मज़ा नहीं ले पा रही। राहुल हमेशा बिज़ी रहता है। मैं अक्सर ऐसा करती हूँ, लेकिन उस रात माँ को सुलाने के बाद मेरा बहुत मन हुआ, तो गेस्ट रूम में चली गई। पर आपको कैसे पता चला कि मैं वहाँ थी?”

मैं: “वो गेस्ट रूम की लाइट जल रही थी, तो मैं बंद करने गया। वैसे, एक बात पूछूँ?”

अंशिका: “जी, बोलिए।” Chhote bhai ki patni ko choda

मैं: “तुमने राहुल से कभी इस बारे में बात क्यों नहीं की कि तुम्हें उसकी ज़रूरत है?”

अंशिका (शर्माते हुए): “बात तो की है, जेठ जी। लेकिन वो इतना बिज़ी रहता है कि टाइम नहीं मिलता। हाँ, कभी-कभी रात को वीडियो कॉल पर वो मेरी मदद कर देता है।”

मैं (हल्का मज़ाकिया लहजा): “कैसे मदद?”

अंशिका शरमाकर हल्का मुस्कुराई। उसकी आँखों में शरारत थी, जैसे उसे ये बातचीत मज़ेदार लग रही हो।

अंशिका (हँसते हुए): “जी, उंगली करने में।” Chhote bhai ki patni ko choda

हम दोनों हल्के से हँस पड़े। माहौल हल्का हो गया था।

मैं: “पर यार, वीडियो कॉल पर उंगली करने में क्या मज़ा? असली चुदाई का मज़ा तो कुछ और ही है।”

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अंशिका (शरारती मुस्कान के साथ): “बिल्कुल सही कहा, जेठ जी। उंगली से वो मज़ा कहाँ जो असल में मिलता है। पर हर औरत जेठानी जितनी खुशकिस्मत नहीं होती कि उसे आप जैसा हट्टा-कट्टा मर्द मिले।” Chhote bhai ki patni ko choda

मैं (खुलकर): “सच कहूँ तो मैं भी उतना खुशकिस्मत नहीं। रीता को अब सेक्स में मज़ा नहीं आता। बच्चों के बाद तो उसकी इच्छा ही खत्म हो गई। मेरा मन तो रोज़ चुदाई का करता है, लेकिन मन मारकर रहना पड़ता है।”

अंशिका (आँखों में शरारत): “लगता है, जेठ जी, हम दोनों एक ही नाव में सवार हैं।”

उसके इस जवाब ने मेरे अंदर आग लगा दी। मुझे लगा वो मुझे सिग्नल दे रही है। मैंने भी खुलकर बोल दिया। Chhote bhai ki patni ko choda

मैं: “हाँ, सही कहा। तुम्हारी चूत की प्यास बुझ नहीं रही, और मेरा लंड तड़प रहा है।”

अंशिका ने मेरी बात सुनकर ऊपर देखा। हमारी नज़रें टकराईं। उसकी आँखों में शर्म, प्यास, और हल्की हिम्मत थी। मैंने मौका नहीं छोड़ा।

मैं (गंभीर स्वर में): “अंशिका, अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हारी चूत की प्यास बुझा सकता हूँ, और मेरा लंड भी शांत हो जाएगा। हम दोनों खुश रहेंगे, और बात घर में ही रहेगी।” Chhote bhai ki patni ko choda

अंशिका ने कुछ पल चुप रही। उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसने साड़ी का पल्लू कसकर पकड़ा। फिर उसने धीरे से सिर हिलाया। उसकी आँखों की चमक बता रही थी कि वो तैयार है। मैं उठा, उसके पास गया, और उसे सोफे से खींचकर अपनी बाहों में भर लिया। उसका नरम, भरा बदन मेरे सीने से चिपक गया। उसकी साड़ी का पल्लू खिसक गया, और उसके मोटे चूचे ब्लाउज़ में उभर आए। उसने भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैंने उसे बेड की तरफ धकेला और दरवाज़ा पूरी तरह बंद कर दिया। Chhote bhai ki patni ko choda

मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा। वो भी मेरे होंठों को भूखी शेरनी की तरह चूस रही थी। “उम्म… आह…” उसकी हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं। हमारी जीभें एक-दूसरे के मुँह में घूम रही थीं। मैंने उसकी जीभ को चूसा, और वो मेरे होंठों को काटने लगी। “आह्ह… जेठ जी…” वो सिसकारी। मैंने उसके गालों को चूमा, फिर उसकी गर्दन पर मुँह ले गया। उसकी गर्दन की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने उसकी गर्दन को चूमा, चाटा, और हल्का काटा। “ओह्ह… उह्ह…” उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। मैंने उसके ब्लाउज़ के हुक खोलने शुरू किए। उसने गुलाबी ब्रा पहनी थी, जिसमें से उसके 36 इंच के चूचे बाहर आने को बेताब थे। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को मसलना शुरू किया। “आह्ह… और ज़ोर से दबाओ…” वो बोली। Chhote bhai ki patni ko choda

मैंने उसकी साड़ी को धीरे-धीरे खींचकर उतारा। उसका गोरा पेट और पतली कमर देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उसके पेट को चूमा, और उसकी नाभि में जीभ डाल दी। “आह्ह… जेठ जी… ये क्या कर रहे हो…” वो सिसकारी, और उसका शरीर काँपने लगा। मैंने उसका पेटीकोट खोलकर नीचे खिसका दिया। Chhote bhai ki patni ko choda

उसकी गुलाबी कच्छी पूरी तरह गीली थी, चूत का पानी उसमें चमक रहा था। मैंने कच्छी को सूँघा – उसकी गंध मुझे दीवाना बना रही थी। मैंने धीरे से कच्छी उतारी और फेंक दी। उसकी चूत बिना बालों की थी, फूली हुई और गीली। मैंने उसकी चूत को हल्के से सहलाया। “आह्ह… उह्ह…” उसकी सिसकारी निकली। मैंने उसकी जाँघों को चौड़ा किया और उसकी चूत पर मुँह रख दिया। Chhote bhai ki patni ko choda

मैंने उसकी चूत के दाने को जीभ से चाटा, फिर पूरा मुँह अंदर डाल दिया। “आह्ह… जेठ जी… ओह्ह…” अंशिका का शरीर काँपने लगा। मैंने उसकी चूत का रस चूसा, और जीभ को अंदर-बाहर करने लगा। “आह्ह… और चाटो… मेरी चूत को खा जाओ…” वो चिल्लाई। मैंने उसकी चूत के होंठों को चूसा, और दाने को हल्का काटा। Chhote bhai ki patni ko choda

उसने मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत में दबा लिया। मैंने उसकी गाँड़ के छेद को भी सहलाया और एक उंगली धीरे से अंदर डाली। “आउच… आह्ह…” उसकी दर्द भरी सिसकारी निकली, लेकिन वो मज़े में थी। मैंने 15 मिनट तक उसकी चूत को चाटा, कभी जीभ अंदर डालकर, कभी दाने को चूसकर। वो पागलों की तरह सिसकार रही थी – “आह्ह… उह्ह… जेठ जी… बस करो… अब चोद दो…” Chhote bhai ki patni ko choda

मैंने उसे अपने मुँह पर बैठा लिया। वो अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी। “आह्ह… ये तो स्वर्ग है…” वो चिल्लाई। मैं उसकी चूत और गाँड़ के छेद को बारी-बारी चाट रहा था। उसकी चूत का रस मेरे मुँह में बह रहा था। फिर हम 69 की पोज़ीशन में आ गए। वो मेरा 8 इंच का लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। “उम्म… कितना मोटा है…” वो बोली, और मेरे लंड का सुपाड़ा चाटने लगी। उसका थूक मेरे लंड पर चमक रहा था। मैं उसकी चूत और गाँड़ के छेद को चाट रहा था। “आह्ह… और चूसो मेरे लंड को…” मैंने कहा। वो पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, और मैं उसकी चूत में जीभ डालकर चाट रहा था। Chhote bhai ki patni ko choda

करीब 20 मिनट की चूसाचूसी के बाद मैं उठा और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। मेरा लंड उसकी चूत के मुँह पर था। मैंने धीरे से लंड अंदर पेला। “आह्ह… मार गई…” अंशिका चिल्लाई। मेरा मोटा लंड उसकी टाइट चूत में आधा ही गया था। मैं रुका, और उसकी चूत को सहलाया। फिर एक ज़ोरदार धक्के में पूरा लंड अंदर डाल दिया। “आह्ह… निकालो… दर्द हो रहा है…” उसकी आँखों से आँसू निकल आए। मैं दो मिनट रुका, फिर धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा। “उह्ह… आह्ह…” उसकी सिसकारियाँ दर्द से मज़े में बदल गईं। मैंने स्पीड बढ़ाई। “चोदो… आह्ह… मेरी चूत फाड़ दो…” वो चिल्लाई। Chhote bhai ki patni ko choda

मैं (हाँफते हुए): “रानी, आज तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा। ले मेरे लंड का मज़ा।”

अंशिका: “आह्ह… जेठ जी… और ज़ोर से… मेरी चूत को चोद डालो…”

मैंने तेज़-तेज़ धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत गीली थी, और हर धक्के के साथ “पच-पच” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैंने उसकी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसला। करीब 15 मिनट बाद मैंने लंड निकाला और उसे घोड़ी बनाया। उसकी मोटी गाँड़ हवा में थी। मैंने लंड उसकी चूत में पेल दिया और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। “आह्ह… उह्ह… और ज़ोर से…” वो चिल्ला रही थी। उसकी गाँड़ हर धक्के के साथ हिल रही थी। मैंने उसकी गाँड़ पर थप्पड़ मारा। “आह्ह… मारो और…” वो बोली। मैंने और ज़ोर से थप्पड़ मारा, और उसकी गाँड़ लाल हो गई। Chhote bhai ki patni ko choda

मैंने लंड निकाला और उसे मुँह में दे दिया। वो मेरे लंड को चूसने लगी। “उम्म… आह…” उसकी आवाज़ गूँज रही थी। मैं उसके मुँह को चोदने लगा। फिर मैं नीचे लेट गया, और वो मेरे लंड पर बैठ गई। वो उछल-उछलकर चुदने लगी। उसके चूचे उछाल मार रहे थे, और मैं उन्हें ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था। “आह्ह… जेठ जी… ये मज़ा पहले क्यों नहीं दिया…” वो चिल्लाई। “पच-पच” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। Chhote bhai ki patni ko choda

झड़ने का टाइम आया। मैंने उसे नीचे बैठाया और लंड उसके मुँह में दे दिया। “चूस… सारा माल पी जा…” मैंने कहा। पाँच मिनट बाद मेरे लंड से पिचकारी छूटी, और मैंने सारा माल उसके मुँह और चूचों पर गिरा दिया। वो हाँफ रही थी। फिर मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत में जीभ डाल दी। एक उंगली से उसकी चूत मसल रहा था। अचानक उसका शरीर अकड़ गया, और वो मेरे मुँह में झड़ गई। “आह्ह… ओह्ह…” उसकी सिसकारी निकली। मैंने उसका सारा रस पी लिया। Chhote bhai ki patni ko choda

हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में लिपटकर सो गए। उस रात हमने दो बार और चुदाई की। सुबह 4:30 बजे मैंने कहा, “अंशिका, अब जाओ, माँ उठने वाली है।” उसके चेहरे पर संतुष्टि थी। वो चली गई, और मैं बिस्तर पर लेटा सोच रहा था कि ये रात मेरी ज़िंदगी की सबसे मस्त रात थी। Chhote bhai ki patni ko choda

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